गोबिन्द सागर के मछुआरों की आजीविका पर मड़राये काले बादल- साबर दीन।

गोबिन्द सागर इस सारे क्षेत्र में मछली उत्पादन के लिए सबसे बड़ा 72 मील तक फैला अथाह जल भंडार था | जिसमें 5 किलो से लेकर 50 किलो तक की कई कविंटल मछलियाँ हर रोज पकड़ी जाती थी, जिन्हें निकट के संलगन राज्यों में भेज कर मछुआरे अच्छी ख़ासी आय अर्जित करते थे | इस व्यावसाय से जुड़े सैकड़ों मछुआरा परिवार अपनी वर्ष भर की आजीविका चलाते थे | किन्तु अब कुछ वर्षों से इस व्यावसाय पर काले बादल छाने लगे हैं | क्यों कि एक ओर जहां छोटे व बड़े नगरों का सारा मल-जल विभिन्न नालों के माध्यम से इसमें मिल कर इसके जल को दूषित कर रहा है वहीं दूसरी ओर विभिन्न उद्योगों आदि से निकलने वाले केमिकल भी इसके जल में मिल कर मछली उत्पादन में भारी रोड़ा बन रहे हैं | फोरलेन सड़क निर्माण सहित अन्य प्रकार के निर्माणों के कारण भी कई स्थलों पर हजारों टन मिट्टी इसमें फेंकने से मछली उत्पादन को गहरा धक्का लगा है |

किन्तु अब इस व्यावसाय से जुड़े लोग सरे आम आरोप लगाने लगे हैं कि मछली पालन विभाग की कथित लापरवाही व धक्केशाही के कारण इस व्यावसाय से जुड़े लोग काफी चिंतित व परेशान हैं | क्यों कि विभाग द्वारा हर वर्ष 15 जून से लेकर 15 अगस्त तक दो महीने तक मछली पकड़ने पर पूर्ण रूप से अंकुश लगाया जाता है और विभाग की ओर से मछली उत्पादन बढ़ाने के नाम पर कथित मछली बीज डाल कर सरकार को लाखों रुपयों का चुना लगाया जाता है , जिसका मछुआरे अब खुल कर विरोध करने लगे हैं | मत्स्य सहकारी सभा बेरी दड़ोला के प्रधान साबर दीन ने कहा है कि कलकता से 1.15 रुपए के हिसाब से 3 इंच साईज़ की प्रति मछली बीज डालने का ड्रामा किया जाता है जब कि वास्तव में बीज नाम मात्र का ही डाला जाता है | जो न केवल मछुआरों से अन्याय है बल्कि सरकार को भी लाखों रुपए की हानि है |

उन्होने कहा कि मछली पालन विभागा द्वारा एक चहेते ठेकेदार के माध्यम से मछली का बीज मंगवाया जाता है जबकि अन्यों को इस प्रक्रिया मे भाग लेने से रोका जाता है अथवा विभिन्न बहानों से बाहर कर दिया जाता है | किन्तु किसी को नहीं पता कि वह बीज डाला जाता है या नहीं ? जबकि जो बीज डाला जाता है वह इतना घटिया होता है कि वह बड़ा ही नहीं हो पाता | क्यों कि पिछले कुछ वर्षों से मछली उत्पादन पूरी तरह से समाप्त हो गया है और मछुआरों को अपने परिवारों का भरण –पोषण करना एक चुनौती बन गया है | उन्होने मछली बीज डालने की पिछले 10 वर्षों में हुये टेंडरों की जांच सहित इस सारे मामले की उच्च स्तरीय जांच करवाने की मांग की है ताकि इस में निरंतर चल रहे कथित गोरख धंधे के आरोपियों को दंडित किया जा सके | उन्होने इस वर्ष हुए टेंडर को रद्द करने की भी मांग की है ताकि प्रतिस्पर्धा के आधार पर बीज डलवाने का कार्य पूरी पारदर्शिता से सम्पन्न हो सके |