मक्की की फसल में फॉल आर्मीवर्म के प्रकोप के प्रति सावधान रहें किसान।

हमीरपुर 27 जून। कृषि विभाग ने जिला के किसानों को मक्की की फसल में लगने वाले ‘फॉल आर्मीवर्म’ के प्रति आगाह किया है। विभाग के उपनिदेशक अतुल डोगरा ने बताया कि इस कीट ने पिछले वर्ष मक्की की फसल को काफी नुक्सान पहुंचाया था। उन्होंने किसानों को सलाह दी है कि वे अपने खेतों की नजदीकी से निगरानी करते रहें और फॉल आर्मीवर्म के लक्षण दिखने पर तुरंत विभागीय अधिकारियों से संपर्क करें।
उपनिदेशक ने बताया कि इस कीट की सुंडी अवस्था नुकसानदायक है तथा यह फसल की सभी अवस्थाओं में क्षति पहुंचाती है। नवजात सुडियां समूह में पत्तों के हरे पदार्थ को एक तरफ से खाती हैं जिससे पत्तों में पतले सफेद कागज जैसे चकत्ते तथा छोटे-छोटे छिद्र बन जाते हैं। बड़ी सुंडियां प्राय: एक या दो की संख्या में पौधे के पर्ण चक्रों में घुसकर पत्तों को खाती हैं जिससे पत्तों में बड़े छिद्र हो जाते हैं। पत्तों में व पर्ण चक्रों में सुंडियों की बीठ व बुरादे जैसा भूरे रंग का पदार्थ भी देखा जा सकता है। बाद की अवस्था में सुंडियां भुट्टे के अंदर घुसकर दानों को भी खाती हैं।
अतुल डोगरा ने बताया कि इस कीट के प्रभावी प्रबंधन के लिए आरंभ से ही कीट-निगरानी के साथ-साथ कीट नियंत्रण के विभिन्न उपायों को एक समेकित प्रणाली के रूप में अपनाया जाना चाहिए।
उन्होंने बताया कि इस कीट के प्रकोप से बचने के लिए मक्की की बिजाई हमेशा अगेती करें या समय पर करें। बीज का उपचार साईएण्ट्रानिलीप्रोल 19.8 प्रतिशत और थायामेथोग्जाम 19.8 प्रतिशत 6 मिली प्रति किलोग्राम बीज की दर से किया जा सकता है। फसल के बीच में अरहर, लोबिया और माश इत्यादि फसलें लगाने से भी इस कीट को नियंत्रित किया जा सकता है।
बिजाई के तुरंत बाद कीट की निगरानी के लिए फैरोमॉन ट्रैप लगाएं, अंडों के समूहों व शुरू की अवस्था की सुंडियों को इकट्ठा करके यांत्रिक तरीकों से नष्ट करें। यदि फैरोमन ट्रैप में एक पतंगा प्रति ट्रैप प्रतिदिन मिलता है या 5 प्रतिशत पौधों में क्षति के लक्षण हैं तो फसल में नीम के बीज की गिरी का अर्क (5 प्रतिशत एनएसकेई) 5 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी की दर से छिडक़ाव करें।
यदि एक से अधिक पतंगे प्रति ट्रैप प्रतिदिन पाए जाते हैं तो पतंगों को नष्ट करने के लिए अधिक संख्या में ट्रैप का इस्तेमाल करें या ट्राइकोग्राम्मा प्रिटियोसस नाम के परजीवी कीट का एक सप्ताह के अंतराल में 50,000 परजीवी प्रति एकड़ के हिसाब से दो बार प्रयोग करें। यदि क्षति 5 से 10 प्रतिशत है तो जैविक कीटनाशकों जैसे बेसिलस थ्यूरिनजेनसिज का (2 ग्राम प्रति लीटर पानी) या मेटारहाईजियम एनिसोपलिए (5 ग्राम प्रति लीटर पानी) का छिडक़ाव करें। कीट प्रकोप 10 प्रतिशत से अधिक होने पर रासायनिक कीटनाशक क्लोरएन्ट्रानिलीप्रोल 18.5 एससी 4 मिलीलीटर प्रति 10 लीटर पानी या स्पिनटोरैम 11.7 एस.सी. (5 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी) या इमामेक्टिन बेंजोएट 5 एसजी (4 ग्राम प्रति लीटर पानी) के छिडक़ाव की सिफारिश की जाती है।
पौधे में सात पत्ते आने से फूल आने की अवस्था में 5 प्रतिशत क्षति या निगरानी में एक पतंगा प्रति ट्रेप प्रतिदिन मिलने पर नीम बीज गिरी के अर्क (5 प्रतिशत)का छिडक़ाव करे। यदि क्षति 10 प्रतिशत से अधिक है तो जैविक कीटनाशकों (बीटी व मेटारहाईजियम) का इस्तेमाल करें। यदि क्षति 20 प्रतिशत से अधिक है तब रासायनिक कीटनाशकों का छिडक़ाव करे। पूरी फसल के दौरान दो से अधिक बार रासायनिक कीटनाशक का छिडक़ाय न करें तथा पहले इस्तेमाल किये गए कीटनाशक का दोबारा छिडक़ाव न करें।