राजस्थान में बीजेपी ने वसुंधरा को मुख्यमंत्री नहीं बनाया तो इन नामों पर हो सकता है विचार

राजस्थान में बीजेपी ने चुनावी रण जीत लिया है.

199 विधानसभा सीटों पर हुए चुनाव में बीजेपी को 115 सीटों पर जीत मिली है. यानी बीजेपी ने स्पष्ट बहुमत हासिल कर लिया है. कांग्रेस को 69 सीटों पर जीत मिली है.

कांग्रेस के मौजूदा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने हार मान ली है और उन्होंने राज्यपाल को अपना इस्तीफ़ा सौंप दिया है.

कहा जा रहा है कि राजस्थान में बीजेपी की चुनावी जीत में इसके दिग्गज नेताओं की ख़ासी भूमिका रही है.

हालांकि बीजेपी ने किसी को भी सीएम चेहरा बना कर चुनाव नहीं लड़ा है इसलिए अब ये सवाल काफ़ी अहम हो गया है कि आख़िर मुख्यमंत्री की कुर्सी पर कौन बैठेगा.

राजस्थान की दो बार मुख्यमंत्री रह चुकीं वसुंधरा राजे सिंधिया के बारे में कहा जा रहा है कि वह आलाकमान की पसंद नहीं हैं.
वसुंधरा पूरे चुनाव में राज्य की उन नेताओ में से एक हैं, जिन्होंने अपनी सीट से बाहर जाकर बीजेपी उम्मीदवारों के लिए प्रचार किया है.

कांग्रेस के मौजूदा सीएम अशोक गहलोत तो ये कहते रहे हैं कि वसुंधरा ही बीजेपी की चेहरा हैं.

लेकिन कई लोग दावा करते हैं कि बीजेपी आलाकमान और वसुंधरा के रिश्ते बेहतर नहीं रहे हैं. वसुंधरा के बारे में यह भी कहा जाता है कि आरएसएस में उनकी अच्छी पैठ नहीं है.

लेकिन वसुंधरा राजस्थान की दो बार मुख्यमंत्री रह चुकी हैं. कहा जा रहा है कि उनके 50 क़रीबी नेताओं ने पार्टी की ओर से चुनाव लड़ा है और इनमें से ज़्यादातर को जीत मिली है.

विश्लेषकों का कहना है कि वसुंधरा अगर 50 विधायकों का समर्थन जुटा लेती हैं तो बीजेपी आलाकमान उन्हें दरकिनार नहीं कर सकता.

लेकिन वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक शरद गुप्ता का कहना है कि बीजेपी आलाकमान वसुंधरा को सीएम नहीं बनाना चाहेगा.

वह कहते हैं,”वसुंधरा राजे के बीजेपी आलाकमान से उनके रिश्ते अच्छे नहीं है. बीजेपी मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान, छत्तीसगढ़ में रमन सिंह को नहीं बदलेगी. लेकिन राजस्थान में वसुंधरा को नहीं आने देना चाहेगी.”

कहा जा रहा था कि वसुंधरा राजे के 30 समर्थक निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर उतरे हुए थे. इस बार के चुनाव में आठ निर्दलीय उम्मीदवारों को जीत मिली है.

कहा जा रहा था कि अशोक गहलोत और वसुंधरा राजे दोनों ने बाग़ी उम्मीदवार खड़े किए हैं और त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति में जीते हुए ऐसे उम्मीदवार इन लोगों का समर्थन करेंगे.

लेकिन जीते हुए निर्दलियों के समर्थन की अब कोई बात नहीं रह गई है क्योंकि बीजेपी को स्पष्ट बहुमत मिला है.