गुस्से में भूल गया वो कि उसके मां-बाप है’, उठाई कुल्हाड़ी फिर दोनों को उतार दिया मौत के घाट।

मध्य प्रदेश के बालाघाट जिले के एक गांव में दिलदहला देने वाली वारदात हुई। जिन मां-बाप ने बेटे को बुढ़ापे का सहारा समझा, वह उनकी जान का ही दुश्मन बन गया। धारदार हथियार से बुजुर्ग दंपति को मौत के घाट उतार दिया। खून से सनी लाशें देख ग्रामीण सन्न रह गए।

वारदात बालाघाट के सिंगोड़ी पंचायत के गुनई गांव में हुई। बताया गया कि किसी बात पर 64 साल के रूपचंद और उसकी पत्नी की छोटे बेटे सरोज मेश्राम से कहा सुनी हुई। काफी देर तो उनके बीच बहस होती रही। फिर अचानक सरोज घर का सामान बाहर फेंकने लगा।

गुस्से में सरोज ने घर में काफी तोड़-फोड़ भी मचाई। इस बात का जब उसके पिता ने विरोध किया और घर का सामान फेंकने से मना किया तो सरोज ने पिता को धकेल दिया। बचाव में जब सामने उसकी मां कविता आई, तो सरोज ने घर की कुल्हाड़ी उठा ली। फिर दोनों पर कई वार किए।

आस-पड़ोस के लोगों ने जब इस बुजुर्ग दंपति की चीख-पुकार सुनी और घर से निकलकर देखा तो रूपचंद और उसकी पत्नी की रक्तरंजिश लाश घर के आंगन में पड़ी हुई थी। इस दौरान कुल्हाड़ी लेकर सरोज पड़ोसियों को भी धमकाने लगा। उसे पकड़ने की कोशिश कर रहे कुछ और लोगों पर उसने कुल्हाड़ी से हमला करने का प्रयास किया।

वारदात के बाद आरोपी सरोज फरार हो गया। बताया गया कि वह रूपचंद का सबसे छोटा बेटा हैं। घटना की खबर लगने के बाद पुलिस पहुंची फिर आरोपी की गिरफ्तारी के लिए कई ठिकानों पर दबिश दी गई। गुरूवार की सुबह उसे एक खेत से गिरफ्तार कर लिया गया। जहां वह एक झोपड़ी में छिप गया था। इस तरह के मामले में जबलपुर के मनोचिकित्सक ओपी रायचंदानी ने बताया कि ऐसे गुस्से की प्रवृत्ति बेहद खतरनाक होती हैं। जो बेटा कल तक अपने मां-बाप की सेवा कर रहा था, उसका अचानक उग्र होना मेंटली डिसऑर्डर का हिस्सा हैं। ऐसे क्षणिक आवेश वाले व्यक्ति से कुछ समय दूरी बनाना चाहिए फिर उसके मन को भांपते हुए कुछ समय सहमति जताना चाहिए। जब यह आवेश कम हो तो उसकी काउंसलिंग जरुरी हैं।