भारत में हर साल हो रही इतने लाख लोगों की मौत, डराने वाले हैं आंकड़े

नई दिल्ली: हमारे आस-पास की हवा दिन पर दिन जहरीली होती जा रही है. दुनिया की तमाम एजेंसियों की लाख कोशिशों के बावजूद भी वायु प्रदूषण बढ़ता जा रहा है. इसी बीच एक ऐसा अध्ययन सामने आया है, जिसने भारतीय वैज्ञानिकों की नींद उड़ा कर रख दी है. एक अध्ययन के अनुसार, बाहरी वायु प्रदूषण के कारण भारत में हर साल 2.18 मिलियन मौतें होती हैं.

द बीएमजे में प्रकाशित एक अध्ययन यह बात सामने आई है कि बाहरी वायु प्रदूषण के कारण भारत में हर साल 2.18 मिलियन मौतें हो रही हैं, जो चीन के बाद दूसरे स्थान पर हैं. प्रदूषण के इन कारणों में लगभग सभी बाहरी स्रोत शामिल हैं. शोध में पाया गया है कि उद्योग, बिजली उत्पादन और परिवहन में फॉसिल फ्यूल के उपयोग से होने वाले वायु प्रदूषण के कारण दुनिया भर में हर साल 5.1 मिलियन अतिरिक्त मौतें होती हैं. इस स्टडी के लिए एक नए मॉडल का उपयोग किया गया था.

शोधकर्ताओं का मानना है कि यह 2019 में सभी स्रोतों से होने वाले वायु प्रदूषण के कारण दुनिया भर में कुल अनुमानित 8.3 मिलियन मौतों का 61 प्रतिशत आंकड़ा है. हालांकि, फॉसिल फ्यूल से होने वाले इस प्रदूषण को अक्षय ऊर्जा यानी रिन्यूएबल एनर्जी से बदला जा सकता था. यह इसलिए भी डराने वाला है क्योंकि अब तक के आए आंकड़ों में यह सबसे ज्यादा है.

शोधकर्ताओं ने पाया कि लगभग 52 प्रतिशत मौतें इस्केमिक हृदय रोग, स्ट्रोक, क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव लंग डिजीज और डायबिटीज जैसी सामान्य स्थितियों से संबंधित थीं. साथ ही लगभग 20 फीसदी मौत के मामले हाई बीपी, अल्जाइमर और पार्किंसंस रोग जैसे न्यूरोडीजेनेरेटिव डिसओर्डर से जुड़े थे.

शोधकर्ताओं का मानना है कि वह देश जो बड़े पैमाने पर फॉसिल फ्यूल पर निर्भर हैं, इनके इस्तेमाल से बचकर सालाना लगभग 4.6 लाख यानी 0.46 मिलियन मौतों को रोक सकते हैं. इसमें संयुक्त अरब अमीरात में चल रही COP28 जलवायु परिवर्तन वार्ता जीवाश्म ईंधन को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने की दिशा में काफी हद तक कारगर साबित हो सकती है. ऐसे रास्ते निकाले जा रहे हैं, जिससे फॉसिल फ्यूल का कम से कम इस्तेमाल किया जाए.