एक साल से मां की लाश के साथ रह रहीं थीं बेटियां, पड़ोसियों को भी नहीं लगी भनक, दिल दहला देने वाली है कहानी।

उत्तर प्रदेश के वाराणसी से एक दिल दहलाने देने वाली खबर सामने आई है। यहां दो बेटियां एक साल पहले मर चुकी अपनी मां के शव के साथ रह रही थीं, जिसकी भनक किसी को नहीं लगी। लड़कियों के रिश्तेदार और पड़ोसियों को भी इतने समय से इस बात की कोई जानकारी नहीं थी क्योंकि उन्होंने सबसे रिश्ते तोड़ लिए थे।

इनमें से एक लड़की पल्लवी की उम्र 27 साल और दूसरी वैष्णवी की 19 साल है। दोनों प्रधानमंत्री अन्न योजना और मां के जेवरात बेचने से मिले पैसों से अपना खर्च चला रही थीं। जेवर बेचने से मिले पैसे भी जब खत्म हो गए तो दोनों बहनें तीन-चार दिनों से पड़ोसी के घर से खाना-पीना मांग रही थीं। शक होने पर पड़ोसी ने उनके नाना को जानकारी दी तो सच्चाई सामने आई

मां के साथ अकेले रहती थीं बेटियां
थानाध्यक्ष ने बताया कि 52 वर्षीय महिला उषा तिवारी का निधन 8 दिसंबर 2022 को हो गया था। उषा तिवारी बीमार रहती थीं। मृतक महिला की दोनों बेटियां मां की लाश के साथ रह रहीं थीं। मानसिक बीमारी के कारण उन्होंने मां के निधन की सूचना रिश्तेदारों को नहीं दी। बीते दो सालों से पति भी साथ में नहीं रहते थे। मां और बेटियां घर में अकेली रहती थीं। दोनों बेटियों का घर से बाहर निकलना कम होता था।

मौके पर पहुंची पुलिस भी हैरान रह गई। काफी समय बीत जाने की वजह से महिला का शव कंकाल में बदल चुका था। बताया जाता है कि दोनों बेटियां मानसिक रूप से अस्वस्थ हैं इसलिए उन्होंने मां के निधन की सूचना किसी को नहीं दी। पिता के नहीं होने की वजह से मां संग दोनों बेटियां घर में अकेली रहती थीं।

कंकाल हो चुका था शव
दोनों की किसी से बातचीत भी नहीं होती थी। कुछ दिनों पहले शक होने पर पड़ोसियों ने इस बात की सूचना करीबी रिश्तेदारों को दी। रिश्तेदारों ने पुलिस को सूचित किया जिसके बाद पुलिसकर्मी महिला के घर पर पहुंचे। बेटियां घर का दरवाजा नहीं खोल रही थीं। जिसके बाद पुलिस जबरदस्ती दरवाजा तोड़कर अंदर घुसी। घर के अंदर रोंगटे खड़े कर देने वाला मंजर था। दोनों बेटियां कंकाल हो चुके शव के साथ एक साल से रह रही थीं। कंकाल बन चुके शव को पुलिस ने कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। पुलिस का कहना है कि डीएनए टेस्ट के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।

पूछताछ में पुलिस को पता चला कि उषा त्रिपाठी की मौत तबीयत बिगड़ने से हुई थी। उनके पति काफी पहले घर छोड़ चुके थे। ऐसे में मां की मौत के बाद संसाधन के अभाव के चलते दोनों बेटियों ने एक कमरे में शव को छिपा दिया था और अंतिम संस्कार नही किया। बदबू से बचने के लिए वो अगरबत्ती आदि का इस्तेमाल करती थीं। मकान के आसपास कोई पड़ोसी ना होने के चलते इसकी भनक लोगों को नहीं मिली। पिछले एक साल में जो भी रिश्तेदार घर आता था तो बेटियां मां की तबीयत खराब होने का बहाना बनाकर उन्हें लौटा देती थीं। किसी को मां से मिलने नहीं देती थी।