हिमाचल प्रदेश में तेजी से बढ़ ही बस्तियों को गंभीरता से ले सुक्खू सरकार। शीषर्क सारी कहानी बयां कर रहा है। आज प्रदेश के हर छोटे बड़े शहर में,नदी व नालों के साथ लगती सरकारी जमीनों पर,वन विभाग की खाली पड़ी जमीनों पर आपको काली तरपाल से बनी झुग्गियां की बस्तियां आसानी से दिखने को मिल जाती हैं। अगर आपने यह झुग्गियां नहीं देखी तो सड़क के किनारे तेजी से बढ़ते हुए रेहड़ी-फड़ी की लंबी लाइनें जरूर देखी होंगी,जो आज से पांच दस साल पहले नहीं दिखती थी। सरकारी जमीनों पर तेजी से होता यह अतिक्रमण अभी किसी को नहीं दिख रहा है,लेकिन भविष्य में यह बड़ी चुनौती के तौर पर सरकार के लिए सिरदर्द बनेगा। मौजूदा समय में प्रदेश में लाखों की संख्या में ऐसे लोग हैं जो कांगड़ा से लेह लद्दाख तक अपनी मैगी,बर्गर,नींबू पानी और गोलगप्पे बेच रहे हैं। मेरा विरोध इन प्रवासी मजदूरों से नहीं है। देश सबका है लेकिन कौन कहां -कहां से आकर बस रहा है इसका कोई तो हिसाब किताब होना चाहिए। प्रदेश सरकार के पास भविष्य की इन चुनौतियों के लिए कोई व्यवस्था नहीं है। इसलिए डरना जरूरी है
प्रदेश में तेजी से बढ़ रही अवैध बस्तियों को गंभीरता से ले सुक्खू सरकार- विकास शर्मा।
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